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लोकगायक पूरन सिंह राठौर उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार से हुए सम्मानित Puran Singh Rathore Biography

आँखें ना होने पर भी इस मुकाम तक पहुँचे बागेश्वर के लोकगायक पूरन राठौर, प्रधानमंत्री ने भी की जमकर तारीफ Puran Singh Rathore Story
गायक पूरन सिंह राठौर और प्रधानमंत्री

Kharak Singh Mehta

बागेश्वर। उत्तराखण्डी लोकगायक पूरन सिंह राठौर Uttrakhandi Folk Singer Pooran singh rathore इन दिनों खूब चर्चा में हैं। दृष्टि बाधित लोक विधा के जानकार पूरन सिंह राठौर का नाम पूरे देश भर में गूँज रहा है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में पूरन राठौर द्वारा किये जा रहे कार्यों को सराहा है। हाल ही में उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार विजेता से पूरन सिंह राठौर को नवाजा गया था। इस विषय पर भी प्रधानमंत्री ने जिक्र करते हुए कहा कि वह उत्तराखंड की लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसी के साथ ही उत्तराखंड की लोक विधा जागर, न्योली, हुड़काबोल, राजुला मालूशाही लोक गाथा के गायन में अच्छी पहचान बनाई है। उन्होंने उत्तराखंड के लोक संगीत में कई पुरस्कार भी हासिल किये हैं।

लोकगायक पूरन सिंह राठौर के बारे में जानें (जीवनी) Singer Puran Singh Rathore Biography
डांगर बजाते हुए पूरन सिंह

लोकगायक पूरन सिंह राठौर बागेश्वर जिले के रीमा क्षेत्र के रहने वाले हैं। पूरन ने 39 साल की उम्र में ही बड़ी मुकाम हासिल की है। वह उत्तराखंड लोक गीत में खासे चर्चित हैं। 15 फरवरी 2023 को पूरन सिंह राठौर को उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार मिला। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में उनकी कला की सराहना की है। बता दें कि पूरन सिंह की बचपन में करीब 6 साल की उम्र में ही आँखों की रोशनी चली गयी। 

जिसके बाद पूरन सिंह अपनी शिक्षा आगे नही कर पाए। बचपन से पहाड़ी, गीतों झोड़ा, चाचरी, न्यौली, छपेली, जागर, बैर-भगनौल सुना करते थे। धीरे-धीरे इस संगीत की ओर पूरन की रूचि बढ़ने लगी। जिसके बाद 11 साल की उम्र में ही स्थानीय कार्यकर्मों में प्रतिभाग करना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे अच्छी पहचान बढ़ने लगी और इसी गीत संगीत को पूरन ने अपना आय का साधन बना लिया। जिसके चलते वह अपना और परिवार का भरण पोषण कर सके। बागेश्वर में लगने वाला प्रसिद्ध उत्तरायणी मेले में भी अपनी प्रस्तुति देने लगे। स्थानीय क्षेत्रों में कोई भी जागरण, भजन-कीर्तन में भी अच्छा प्रदर्शन रहता है। बड़े-बड़े मंचों पर अपनी कला का हुनर पेश किया है। तभी पूरन की शादी हेमा से हुई। तभी शादी के बाद पूरन राठौर का साथ पत्नी हेमा ने देना शुरू किया। जहां भी कोई कार्यक्रम होते हैं वहाँ उनकी पत्नी हेमा पूरा सहयोग करती है। जिनकी देखभाल उनकी पत्नी हेमा अच्छी तरह करती है।

लोकगायक पूरन सिंह राठौर का परिवार के बारे में Puran Singh Rathore Family members
सम्मानित किए पूरन सिंह

पूरन राठौर उत्तराखण्डी लोकगायन के साथ साथ ढोल, दमाऊं, थाली, हुड़का, डांगर आदि बाद्य यंत्र भी बजाते हैं। वर्तमान में पूरन सिंह गाँव रीमा में अपने परिवार के साथ रहते हैं। पूरन सिंह राठौर की पत्नी हेमा देवी हैं। उनके चार बच्चे हैं। 15 वर्षीय बेटा रोशन अभी 10वीं कक्षा, 13 वर्षीय नेहा 7वी कक्षा, 10 वर्षीय गरिमा 5वीं कक्षा और 6 वर्षीय मयंक पहली कक्षा में पढ़ रहे हैं। 


पूरन सिंह राठौर सुपरहिट गीत  Puran Singh Rathore Superhit Song

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