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घुघूती जागर टीम का "यो डाना का पारा" वीडियो गीत सोशल मीडिया पर खूब हो रहा वायरल Rajendra Dhaila

उत्तराखंड की भाषा और लोक संस्कृति को संवार रहे लेखक व गायक राजेन्द्र ढैला का गीत इन दिनों पूरे उत्तराखंड ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों में रह रहे प्रवासियों की पहली पसंद बना है। 

खड़क सिंह मेहता

कुमाऊँ में इन तीन लोगों की जबरदस्त जोड़ी ने आज पहाड़ की परम्परा, रीति-रिवाज, बोली-भाषा को अपने सुर-संगीत के माध्यम से पिरो रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं घुघूती जागर टीम की। घुघूती जागर टीम के मशहूर कलाकार गायक / गीतकार राजेन्द्र ढैला का "यो डाना का पारा" वीडियो गीत रिलीज हो गया है। इस वीडियो गीत को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। गीत रिलीज होते ही हजारों लोगों ने यूट्यूब पर देख लिया। गीत को एक दिन में 9 हजार से अधिक लोगों ने देख लिया है। Ghughuti Jagar Team घुघूती जागर टीम उत्तराखंड की संस्कृति से सभी लोगों को रूबरू कराते आये हैं। दूर-दूर पहाड़ों में जाकर पहाड़ी लोकगीत गाते तथा वीडियो के माध्यम से देश-विदेशों में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडी जिन्हें अपनी मातृभूमि की संस्कृति याद आती है उन लोगों के लिए घुघूती जागर टीम हर तरह के गीत गा कर लोग सुनने पर मजबूर हो जाते हैं। राजेन्द्र ढैला ने "पहाड़ ल्या रयूं" गीत के बाद अब "यो डाना का पार" वीडियो गीत गाया है। यह गीत को घुघूती जागर टीम यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया है। 

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"यो डाना का पारा" Yo Dana Ka Para गीत के बारे में जानें 
Yo Dana Ka Para Song Poster

कुमाऊं के कवि / गायक राजेन्द्र ढैला ने "यो डाना का पारा" Yo Dana Ka Para Song गीत को अपनी मधुर स्वर में गाया है। ज्योति प्रकाश पन्त ने गीत को बेहतरीन संगीत से सजाया है। गीत में घुघूती जागर टीम ने ही कोरस किया है। घुघूती जागर टीम व साथियों ने वीडियो में अपना अच्छा प्रदर्शन कर दर्शकों के दिलों में राज कर लिया है। वीडियो में कैमरा व एडिड गिरीश शर्मा ने किया है। गिरीश शर्मा ने गीत को रिकॉर्ड घुघूती जागर स्टूडियो हल्द्वानी में की। वीडियो में विशेष सहयोग फौजी मनवर सिंह रावत ने दिया है। झोड़ा/चांचरी गीत के बोल "यो डाना का पारा, बूरूंशी फूली अरारा, म्यर मन मैंधैं कूंछ, तेरी मीत ऐगै सरारा"। सोशल साइट पर भी खूब वायरल हो रहा यो डाना का पारा झोड़ा चाचरी गीत, लोगों ने फेसबुक पेज, इंस्टाग्राम पर भी खूब रिल्स बनाये हैं। 

राजेन्द्र ढैला ने बताया कि इस गीत में कवि कह रहा है कि- इस डाने (पहाड़) के पार भीड़े में जो बुरांश के फूल खिले हुए हैं उन्हें देखकर मेरा मन मुझसे कह रहा है तुम्हारी मीत (प्रेयसी) आ गयी है। हरे भरे पेड़ पौधों के बीच खिले बूरूंशी के फूल मुझे बार बार ऐहसास दिला रहे हैं कि यह तुम्हारी प्रेयसी है लेकिन ओ मुझे ठगा रहे हैं। इस तरह से इस गीत से लोगों को एक सन्देश दिया गया है। ऊँचे ऊँचे पहाड़ों के बीच लाल बुरांश के फूल खिले हुए हैं मानो की इन लाल बुराँश को देखकर मीत याद आ रही है।