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Bageshwar: बागेश्वर के बलवंत सिंह ने की तिमूर की खेती, गाँव में रहकर कमा रहे हजारों रुपये

बलवंत सिंह बागेश्वर रमाड़ी 

बागेश्वर के बलवंत सिंह ने की तिमूर की खेती, गाँव में रहकर कमा रहे हजारों रुपये
Balwant singh karki ramadi bageshwar timur cultivation


देवभूमि उत्तराखण्ड राज्य प्रकृति की सुंदरता को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहता है। यहाँ की सुंदरता लोगों के मन मोह लेती है। यहाँ की खूबसूरत पहाड़ों के साथ साथ कई दुर्लभ जड़ी बूटियां भी मिलती हैं। प्राकृतिक धन संपदा से भरपूर देवभूमि सभी पर्यटकों को बुलाती है। प्रकृति के इसी सौगात का अगर किसी को भी जानकारी हो तो वह इस सुंदर हसीन वादियों में स्वरोजगार खोल सकता है। जैसे की आज हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं उत्तराखंड के ऐसे युवा से जिन्होंने प्रकृति का धन संपदा का सदुपयोग कर रोजगार की नई राह दिखाई है। जी हां हम बात कर रहे हैं बागेश्वर जनपद के रमाड़ी गांव निवासी बलवंत सिंह कार्की की। जिन्होंने तिमूर की खेती से स्वरोजगार की राह चुनी है। तिमूर की खेती जहाँ एक ओर खरीददारों को औषधीय लाभ दे रही है वहीं दूसरी ओर बलवंत की आजीविका में भी बढ़ोत्तरी हो रही है।

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बीते कुछ साल पहले पिथौरागढ़ और चमोली जनपद में तिमूर का व्यावसायिक तौर पर उत्पादन शुरू किया गया था। इसी को देखते हुए बागेश्वर जनपद निवासी बलवंत ने भी अपने खेतों में 400 तिमूर के पेड़ लगाए। बलवंत कार्की ने तीन साल तक बहुत मेहनत की और आखिर में अब उनकी मेहनत रंग लाई, अब रमाड़ी गाँव के तिमूर का व्यावसायिक तीसरा जनपदीय क्षेत्र बन गया है। मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने हाल ही में मासी (चौखुटिया) की एक संस्था को एक हजार रुपए के दाम पर दो किलो तिमूर के बीज के छिलके बेचे। वहीं एक किलो छिलका स्थानीय बाज़ार में बेचा। बलवंत सिंह कार्की ने बताया कि केवल तिमूर का छिलका महंगा बिकता है बल्कि उसके लकड़ी, पत्ती भी अच्छे दामों में बिकते हैं।